21 km daily for 30 days
31 मार्च को जब ब्लड डोनेशन किया उस समय मन मे विचार आया कि 1 अप्रैल से 21 km रोज रन करूँगा उस समय अपने आप पर मुझे बिल्कुल भरोसा नही था कि मै कर पाऊंगा या नही पहले एक ही बात सोची की 2 दिन करके देखे फिर जो होगा देखा जाएगा।इंदौर सुपरचार्जर की कांटेस्ट के प्रतियोगियों को मै मोटीवेट करना चाहता था।पिछले 6 माह में मैने सिर्फ 600 km की रनिंग की थी।और 3500 km की साइकिलिंग की थी 6 माह में उसमे 200,300,400 brm भी थी।
Backache के कारण मैंने रनिंग बंद की थी ।
साइकिलिंग काफी अच्छी होती है जब आपको इंजरी हो ।
खैर जब 6 दिन दौड़ते हुए हो गए तो काफी आत्मविश्वास बढ़ा।रोज सुबह अजय झांगजी का मैसेज और एक दिन पहले congratulations का मैसेज मिल जाता था मैंने कहा कि अजय जी इससे मुझे दौड़ना ही पड़ता है क्योंकि आप की बात रहना चाहिए।जितेंद्र चौहान ,मनमीत ,संजीव राजदान,राहुल तकालकर आदि सुपरचार्जर के मैसेज से जान आ जाती थी।
रोज सुबह उठना बहुत मुश्किल होता था।सिर्फ कमिटमेंट के कारण ही उठ पाता था।रोज में कहाँ दौडूंगा यह भी एक दिन पहले लिखता था जिससे किसी को साथ मे दौड़ना हो तो साथ आ जाये ।मैने एक समय फिक्स कर लिया था कि रोज 4.30 पर घर से निकलना है और 7.15 या 7.30तक घर पहुचना है।पहले के 6 से 7 दिन सुपर कॉरिडोर पर ही दौड़ा।एक दिन बेयरफुट एक दिन स्किनर्स पहन कर ।एक दिन राजेश पोरवालजी ने कहा कि मलहराश्रम आओ ।मैने कहा कि बेयरफुट में कंकर चिभते है पैर में और गोल गोल राउंड लगाना मुश्किल होता है।एक बार मे घर से दौड़ते हुए मलहराश्रम आ गया लूना सैंडल पहनकर ।12 km मलहराश्रम में दौड़ा और 9 km घर से आना जाना।
घर से रनिंग चालू करने और फिनिश करने का फायदा होता है कि आपका 40 से 50 मिनट आने जाने का समय बच जाता है।
रोज सुबह दौड़ने का मन नही होता था मन को यही समझाता था कि दौड़ चालू तो करो गाने मोबाइल के स्पीकर फोन पर चालू करके निकल जाता था कॉलोनी के कुत्ते 4 -5आकर देखते और उनकी आंख में आंख मत डालकर देखो वो बिल्कुल भी नही भोकेंगे।
उन्हें इग्नोर करो वो भी इग्नोर करेंगे।
पहला किलोमीटर हमेशा 8 मिनट और 30 सेकंड में होता था या उससे भी ज्यादा मैं बिल्कुल भी चिंता नही करता था।5 km तक आते आते एवरेज पेस 8.15के आसपास होता था अगले 5 km वार्मअप होने के बाद स्पीड भी बढ़ जाती थी और सारे दर्द भी गायब हो जाते थे।जो ankle में दर्द होता था दूसरे या तीसरे km पर वो भी खत्म हो जाता था फिर टारगेट पेस 7.52 के लिए 5 से 10 km थोड़ा तेज दौड़ता था जिससे 8.15 से 7.52का पेस आ जाये ।
7.52 का पेस मैने इसलिए चुना था कि मै सभी 21 km के रन 2 घण्टे 45 मिनट में ही करूँगा कभी भी उसके ऊपर यानी 2 घण्टे 46 मिनट हो गया तो मै छोड़ दूंगा।
जैसे ही 10 km होते मै बेफिक्र हो जाता कि आज का दिन तो अब निकल ही जायेगा।
मेरा इंदौर मैराथन में पेस 5.55 और 2 घण्टे 4 मिनट का समय था।40 मिनट स्लो रन किया जिससे इंजरी नही हुई और करीब 2 min स्लो पेस।
सुपर कॉरिडोर पर मेघना के साथ दौड़ते हुए एक बार पथ्थर गढ़ गया पैर में ।उसने बहुत परेशान किया जब भी कोई कंकर उसी जगह लगता तो चीख निकल जाती थी इसलिए उसे ठीक करने के लिए लूना सैंडल मजबूरी में पहने।कितनी बार तो ऐसा हुआ कि सैंडल से discomfort हो रहा था ankle में दर्द बढ़ रहा था तो सैंडल कमर के बेल्ट में फंसा कर दौड़ने लगा।
21 km रोज दौड़ने में 2 चीजो का बहुत ध्यान रखना पड़ता था ।
एक तो पौष्टिक खाना
दूसरा रिकवरी
घर से जब निकलता था तो एक ब्लैक कॉफ़ी 10 बादाम 2 बिस्कुट खाकर निकलता था 1 लीटर पानी सुबह उठते ही पीता था।हाइड्रेशन बहुत जरूरी है।अपने साथ 600 ml की बोतल ले जाता था उसमें 3 fastandup की इलेक्ट्रोलाइट की टेबलेट डालता था 2 निम्बू और 4 चम्मच शक्कर।
साथ मे 3 -4 कॉफी बाईट और पल्स टॉफी ले जाता था।
घर आकर सबसे पहले नहाता था फिर स्ट्रेचिंग और 500 ml ढूध और 15 gm whey प्रोटीन on का लेता था फिर पोहा या उपमा एक केला 1 घण्टा रेस्ट 9 से 10 फिर क्लिनिक साढ़े दस से 2 बजे और फिर लंच में 2 रोटी दाल चावल सब्जी दही ।डेढ़ घण्टे आराम वापस ।5 से 6 बजे तक ankle की बर्फ से सिकाई ।हाँ एक बात बहुत जरूरी है कि घर से निकलता जब वजन 72 और वापस दौड़ कर आता तो 70.5 होता था मतलब की 3 लीटर sweat loss होता था 3 घण्टे में जब शाम को अच्छे से urination होती थी और यूरिन आउटपुट अच्छा होते ही पैरो का दर्द खत्म हो जाता था ।दिन भर में 6 लीटर पानी पी जाता था।
शाम को साढ़े 6 से साढ़े 8 क्लिनिक और साढ़े 9 बजे सो जाना।
यह सब इसलिए लिखा कि कोई यह करना चाहे तो काफी अनुशासन में रहना पड़ता है।
शरीर कहता है कि आराम करो ,मन कहता है कि जो कमिट किया है वो करो।ये द्वंद रोज चलता था।एक तो सुबह उठ जाओ दूसरा घर से बाहर निकल जाओ भले ही पैर मना करे।और आधा घण्टा रोते गाते भी दौड़ लिया मतलब आपकी दौड़ पूरी हो गयी।3 घण्टे के वर्कआउट में शुरू के 30 मिनट ही महत्वपूर्ण होते है।
बीच मे जब 21 दिन हुए तो डॉ पारिख सर ने कहाँ की अब खत्म कर दो मैंने सर से वादा किया कि मैं अभी एकदम ठीक हु और बिल्कुल इन्जुरेड होकर रन नही करूँगा।आखिरी के 7 दिन मैंने सोचा कि यूनिवर्सिटी में रन करूँगा ।वहाँ पर डॉ पासी ,गुरिंदर,अपूर्व मिश्र जी,अखिलेश जैन,संजय बिरला,मंगा जी,barfa जी आदि काफी लोग मिल जाते थे ।स्ट्रेचिंग करने में या यूनिवर्सिटी के मोड़ के कारण मुझे 26 वे दिन मोच आ गयी ।लेफ्ट एंकल शाम 6 बजे तक भी दर्द कर रहा था मैंने सोचा कि अब समय आ गया है छोड़ने का।हेमा ने पहली बार मुझे कहा कि अब 4 दिन तो बचे है कर डालो मैने कहा कि मजाक नही है।सुभाष मसीह जी की व्यक्तिगत पोस्ट मुझे काफी प्रोत्साहित करती थी।एक बार नीरज याग्निक जी से बात हुई उन्होंने कहाँ की जो आपको अच्छा लगे वो जरूर करो यही बात विवेक सिंघल जी ने भी कही ।
21वे दिन सुरेश लाहोतीजी,विकास जैन,अर्पित जैन,मोहित,जोनी भाई नीरू भाभी,संदीप कायल,पारिख सर,अजय झांग ,डॉ जितेंद्र माधवी ,आये बहुत अच्छा लगा ।आखिरी दिन विजय जी,रजनीश जी,अजय झांग,अखिलेश,जावेद खान,पारिख सर,डॉ जोशी सर आदि लोग आए ।
इस रन का मकसद ये था कि थोड़ा endurance बढ़ जाये।वजन घट जाए।और सभी को दौड़ने के लिए प्रेरित कर सकूं।
उम्मीद है कि यह ब्लॉग सभी को पसंद आया होगा।पढ़ने ले लिए धन्यवाद।
dryvyas@gmail.com
https://www.blogger.com/blogger.g?rinli=1&pli=1&blogID=6926097089336735235#allposts
मेरे सारे ब्लॉग आप ऊपर लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते है।
No comments:
Post a Comment