Wednesday, September 12, 2018

Last brm 600 km

600 km brm
8 sept 2018 को 600 brm थी।उसके पहले ही बहुत टेंशन होने लग गया था।600 km साईकल चलाना कोई मजाक नही है 40 घण्टे ।
एक दिन पहले मैंने अपने मन मे वैराग्य का भाव पैदा कर लिया कि मैं 600 कर लूंगा तो भी योगेंद्र व्यास ही रहूंगा नही किया तो भी योगेंद्र व्यास ही रहूंगा।भगवान भरोसे नैय्या छोड़ दी जो होगा देखा जाएगा।ऐसा सोचने से इतनी हिम्मत आ गयी कि स्टार्टिंग लाइन पर तो पहुचना ही है ।
मेरे लेफ्ट घुटने में दर्द एक माह से बना हुआ था उससे डर ये लग रहा था कि कही मेरा घुटना खराब न हो जाये।600 km 40 घण्टे साइकिलिंग करना है।नींद तो मैंने अच्छे से ली थी दो दिन पहले।
साईकल की सर्विसिंग जितेंद्र खत्री जी से करवाई थी 7 दिन पहले ।पेडल में टिक टिक की आवाज खत्म नही हो रही थी तो 2 दिन पहले महेश करड़ा साईकल वर्ल्ड से भी सर्विसिंग करवाई।
नीरज याग्निक भैया ने काफी टिप्स दी कि कैसे करना है 600 km
जितेंद्र खत्री,प्रवीण पराशर,पारस जैन,से भी टिप्स ली।
सभी की टिप्स से काफी फायदा हुआ।
600 brm सरल नही है एक प्रकार से पागलपन है।यह मेरी तरफ से आखिरी बार का पागलपन था।
में अब कभी भी brm नही करूँगा ।मैंने सन्यास ले लिया है।ये ब्लॉग सबूत रहेगा।में सभी को साइकिलिंग के लिए प्रेरित करता रहूंगा और छोटी मोटी राइड करता रहूंगा।मेरा ये व्यक्तिगत फैसला है।सभी जिन्हें मजा आता है वो जरूर करे।मुझे ऐसा लगता है कि इंदौर भोपाल हाईवे साईकल के लिए नही है।वो बड़े कंटेनर,ट्रक,चार्टर्ड बस,और स्पोर्ट्स व्हीकल और कारो के लिए है।पूरी तरह से जान का जोखम होता है।भगवान कि दया से हमारे सभी साइकिलिस्ट सुरक्षित रहे है।आगे भी सुरक्षित रहे।ऐसी कामना है।
हमे रात में पीछे से लाइट के साथ कार की परमिशन मिलना चाहिए।और पहले साईकल वर्ल्ड से यूसुफ चला करते थे पंक्चर बनाने के लिए वैसी व्यवस्था होना चाहिए।
खैर ।मैंने तो सन्यास ले लिया है।अब रात में कोई भी साइकिलिंग नही करूँगा मतलब 300,400,600।
मुझ पर किसी को भरोसा नही है कि मैंने सन्यास ले लिया है ।
हाँ,अब इस 600 कि कहानी ।सुबह घर से एक आलू परांठा खा कर निकला और रास्ते के लिए 2 आलू परांठे,कुछ चिक्की,काजू और बादाम फ्राइड किये हुए,पल्स टॉफ़ी,कॉफ़ी पाउच।
नेहरू स्टेडियम तक साईकल से ही गया ।हेमा ने बहुत ध्यान रखा बारिश हो रही थी मुझे रेनकोट पहना कर भेजा कि नेहरू स्टेडियम तक तो नही भिगो।वहाँ पर हेमा कार से आई।
मेरे घर के सदस्यों में हेमा,माधवी बरनिया,मनीष शर्मा,डॉ जितेंद्र बरनिया ने बहुत मेरी देखभाल की और उसके कारण ही मेरा brm हो पाया।राऊ सर्किल पर 287 km पर तो वापस राऊ सायकोसिस होने लगी कि छोड़ दो और घर जाओ परंतु मनीष शर्मा बज्जू मेरे साले साहब तत्परता से खड़े थे।मैंने पपाया रेस्टोरेंट के सामने ही जमीन पर 10 मिनट की पावर नेप ली।
डॉ जितेंद्र बरनिया मेरे साढू भाई और हेमा रात भर मेरी व्हाट्सएप की लाइव लोकेशन से देख रहे थे।3 बजे शिप्रा पर मिले और फिर सुबह साढ़े छह बजे तक साथ थे।सृष्टि क्लब में 4 से साढ़े 5बजे तक आराम किया,खाना खाया ,नहा कर फ्रेश हुआ।सभी घर के लोग रात को नही सोये।
नेहरू स्टेडियम से साइकिलिंग स्टार्ट की 6 बजे आराम से चला रहा था कोई टेंशन नही था।1 घण्टे बाद कि बूँदा बाँदी होने लगी।साईकल पर पीछे मडगार्ड न होने से पूरे कपड़े और बैग पैक गंदा हो गया।पीथमपुर के बाद तेज हेड विंड और तेज बारिश के कारण साईकल चलाना मुश्किल हो रहा था।एवरेज स्पीड 16 की थी जबकि पिछली बार रतलाम 20 की स्पीड से 8 घण्टे में पहुच गए थे।मेरे पास आलू पराठे थे इसलिए बीच बीच मे एक दो piece खाते हुए साईकल चला रहा था।बीच मे स्टॉपेज नही के बराबर लिए।स्लो और स्टेडी पेस में साईकल चला रहा था।रतलाम 3 .45पर पहुँचा और थोड़े से दाल चावल खाकर आधे घण्टे में निकल गया।रतलाम में नितिन फिरोदिया मिल गए वो मेरे लिए विंड शीटर लेकर आये की बारिश में ठंड न लग जाये ।नितिन डॉ जितेंद्र के कहने पर आया था।थैंक्स जितेंद्र । वापसी में बारिश रुक गयी थी और एक स्पीड में साईकल चला रहा था।रतलाम से राऊ तक कोई साथ नही मिला।मुझे डर भी था कि पिछली बार जैसे इस बार भी रास्ता न भटक जाऊं।पिछली बार घाटा बिल्लोद पर रास्ता भटक गया था ।अंधेरे में गाड़ी चलाना बहुत जोखिम का काम होता है ।रास्ते मे पानी ,ors,काजू,बादाम ,चिक्की खाता हुआ चल रहा था।राहुल की साईकल बहुत पंक्चर हो रही थी एक जगह में रुका पंक्चर बन चुका था।मैंने राहुल से कहा कि में आगे आगे चलता हूं में स्लो राइडर हु तुम मुझे कैच कर लोगे।परंतु राऊ तक कोई नही मिला।राऊ पर डॉ बबिता केसवानी मैडम मिली उन्होंने कहाँ की खाना खा लो ,मैंने उन्हें बताया कि मैंने केला और फ्रुइटी ले ली जो मनीष शर्मा लाये थे।
फिर डॉ मंगल मिल गए वो मिले और मेरा उत्साह बढ़ाया।फिर अंधेरे में बाईपास पर साईकल चलाता रहा 57 km राऊ से सृष्टि क्लब तक 3 से साढ़े 3 घण्टे में पहुच गया।नींद इतनी आ रही थी कि पिपलियहाना के पास बाईपास के उतार पर मुझे 2 गाय रोड क्रॉस करते दिखी मैने साईकल स्लो की की गाय निकल जाए परंतु देखा कि कोई गाय नही है मेरा मतिभ्रम था जिसे हम डॉक्टर्स visual hallucination कहते है।नींद के झोंके रोकने के लिए में राम राम ,कृष्णा,कृष्णा की chanting करने लगा ।खैर सुबह 5.30 पर सृष्टि क्लब से निकला तो 110 km का टारगेट था ।साढ़े 6 घण्टे में ।पहले घण्टे में 26 km साईकल चलाई की 12 बजे के पहले क्रिसेंट पहुचना है।तेज साईकल चलाने से थकान बढ़ गयी फिर धीरे धीरे चलाने लगा।मेरी कैलकुलेशन गलत हो गयी एक जगह देखा कि 41 km सिहोर है मुझे लगा कि sign बोर्ड गलत है ।मेरे हिसाब से 30 km ही था ।फिर इतना टेंशन हुआ कि घड़ी भी नही देखी और 2 घण्टे में 40 km से ज्यादा कवर कर कर 11.30 पर सिहोर पहुच गया ।बहुत खुश हुआ।मुझे तो डर था कि एक आध मिनट पहले ही पहुँचूँगा।
वहाँ पर मैने एक बहुत बड़ी गलती कर दी कि एक बड़ा सैंडविच खा लिया और चाय पीकर निकल गया ।मुझे थोड़े से दाल चावल ही खाना थे परंतु वो उपलब्ध नही थे।इतनी नींद आ रही थी सैंडविच खाने के बाद कि सिहोर से 2 km बाद ही एक ढाबे पर 10 मिनट सो गया।ढाई घण्टे में 40 km चलाना थी और मैंने 25 km ही चलाई।जब सैंडविच कुछ हजम हुआ तो साईकल चला पाया।
फिर कोका कोला पिया,कॉफ़ी पाउडर डायरेक्ट मुँह में डाल कर पानी पी लिया।एक जगह से माजा की बोतल में senda नमक डाल कर पी।शाम को 7 बजे तक काफी फ़ास्ट साइकिलिंग की और 7 बजे 40 km बाकी थे।मेरे garmin के हिसाब से ।परंतु जब फिनिश किया तो घड़ी ने 608 km बताये मतलब 3 घण्टे में 48 km साइकिलिंग करना थी में 40 समझ रहा था।सोनकच्छ से देवास 29 km होता है।17 km तो अंधेरे के पहले निकल गए उसके बाद के12 km में 1 घण्टा लग गया कुछ भी नही दिखता है।तेज गाड़िया निकलती तो ऐसा लगता कि अब मरे।बहुत डरा में जैसे ही देवास से इंदौर के मोड पर पहुचा तो देखा कि समय 8 बजकर 4 मिनट हुए है और 30 km बचे है ।570 km हो गए थे ।मुझे विश्वास था कि में समय से पहुच जाऊंगा।डॉ आलोक जैन साईकल ले कर आ गए वो पूरे 38 km तक मेरे पेसर बनकर आगे आगे गाड़ी भगा रहे थे।मेरी कैलकुलेशन गलत थी 30 कि बजाय 38 km करना था2 घण्टे से कम समय मे।मैंने एक और बड़ी गलती की की ब्रिज से जाने की बजाय नीचे से आया जिससे कि 36 से ज्यादा स्पीड ब्रेकर और 9 अंडरपास के ट्रैफिक के कारण मेरी स्पीड कम हुई ।उस समय आलोक ने जो कहा वो कर लिया परंतु बाद में लगा कि मुझे रुक कर वाच देखना थी कि स्पीड घट रही है तो ब्रिज पर जाने का फैसला कर लेना था।खैर ।अर्पित जैन ,राहुल,अजय झांग,डॉ रजनीश ,डॉ श्याम झा,आदि को देखकर खुश हो गया ।late finish ही क्यो न हो आखिरी में 600 km हो ही गयी ।12 मिनट की देरी हुई यदि इतनी गलती के बाद भी ऊपर ब्रिज से आता तो समय से आ जाता।
हरिकृपा हुई कि 600 हो गया और हरि इच्छा थी कि समय से न हो ।
आशा है कि जो गलतियां मैंने की वो दूसरे लोग न करे ।कभी भी ज्यादा न खाए और ज्यादा आत्मविश्वास में न रहे।
सभी मित्रों को वापस से बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने मुझे ऐसा कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
सभी को एक लंबा ब्लॉग पढ़ने के लिए धन्यवाद।ये मेरे अपने व्यक्तिगत विचार है।कृपया अन्यथा न ले।
dryvyas@rediffmail.com
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Sunday, August 5, 2018

12 hr tiranga run 15 aug 2018

दोस्तो इंदौर और मप्र की पहली 12 घण्टे की मैराथन 15 aug 2018 को हो रही है इंदौर के तक्षशिला कैंपस खंडवा रोड पर ।
उम्मीद है कि आपने रजिस्ट्रेशन करवा लिया होगा।
12 घण्टे दौड़ना कोई मजाक नही है जिन रनर ने पहले 2 फुल मैराथन दौड़ी हो या एक बार भी 50 km की रन की हो उन्हें ही इसमें दौड़ना चाहिए ।इस मैराथन में नए धावकों के लिए 2 घण्टे,3 घण्टे,4 घण्टे,6 घण्टे की भी दौड़ रखी है।
नए रनर के लिए एक बहुत बड़ा अवसर होगा जब भारत के नामचीन रनर को दौड़ते हुए देखेंगे।ये स्टेडियम रन है इसमें आप अपने हीरो को बहुत पास से दौड़ते हुए देखेंगे ।उनका रनिंग फॉर्म कैसा है ,वो क्या स्पीड में दौड़ते है,वो कितना पानी पीते है,वो कितना और क्या क्या खाते पीते है।वो अनुभव भी उनकी जुबानी सुन पाएंगे।मै स्वयं भी 34 फुल मैराथन और 250 हाफ मैराथन दौड़ चुका हूं ।में पियुषभाई और नेशनल रिकॉर्ड होल्डर धीरज पांडेय की दौड़ लाइव देख पाऊंगा।
पीयूष शाह ने 6 माह में 100 फुल मैराथन दौड़ी थी।उनका लिम्का बुक में रिकॉर्ड है ट्रेडमिल पर 25 घण्टे में 180 km दौड़ने का।
हमारे इंदौर के दिनेश सुले जिन्होंने 21 km 60 दिन तक दौड़े उनसे भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।
12 घण्टे की रन में सबसे जरूरी आपका अपना प्लानिंग होता है।आपकी प्रैक्टिस कितनी है ,आप अभी तक कितना दौड़ चुके हो ,सबसे ज्यादा कितना दौड़े हो और कितनी फुल मैराथन या हाफ मैराथन की है।
सबसे जरूरी है आपकी मानसिक शक्ति ।दूसरा जरूरी है खाना और पीना।
प्रत्येक 20 मिनट में पानी ,इलेक्ट्रोलाइट,नमक ,केला आदि लेते रहे।केला काफी अच्छा खाना होता है उससे सोडियम ,पोटासियम,मैग्नीशियम,कार्बोहायड्रेट,मिल जाता है।
प्रत्येक 2 घण्टे पर आराम करें 10 मिनट के लिए।अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाये।उपमा,दाल चावल,खिचडी,इडली जो भी खाना हो वो खाये।चाय कॉफी लेते रहे।पोटैटो चिप्स,साल्टेड पीनट्स ले
सबसे जरूरी होता है कि हम इंजरी फ्री रहे इसके लिए हम अपने शरीर की सुने जितना हम से होता है उतना ही करे।हाँ, हम अपनी बॉडी को थोड़ा सा पुश करे जितना वर्कआउट हम रेगुलर करते है उससे 5% से ज्यादा न करे।जब भी थके तो थोड़ा आराम करें फिर रन करें आप बेझिझक वाक कर सकते है दुसरो से कतई तुलना न करे।
सबका endurance,प्रैक्टिस,age,अलग अलग होता है सबका दौड़ने का मकसद अलग अलग होता है ।कुछ लोग जितने के लिए दौड़ते है कुछ सिर्फ बीमारियों से बचने के लिए दौड़ते है।
कुछ का वीकली माइलेज 70 km होता है।कुछ का 30 km
इसलिए कोई तेज दौड़ रहा है स्टेडियम में तो उसको देखकर तेज न दौड़े अन्यथा इंजरी हो सकती है।अपने पेस में दौड़े जब बात नही कर पा रहे है मतलब सांस फूल रही है तो आराम से वाक करे।
12 घण्टे की रन में वाक कर सकते है ।जो रनर 2 या 3 घण्टे के लिए भाग ले रहे है वो भी वाक कर सकते है।
प्रत्येक घण्टे पर स्टेडियम में दौड़ की डायरेक्शन जरूर बदलना चाहिए जिससे इंजरी न हो।
इलेक्ट्रोल और पानी एक के बाद एक ले एक घण्टे में 600 ml पानी या तरल पदार्थ शुरू से ही लेना शुरू कर दे ।बीच बीच मे केला जरूर ले।
अगर आपको लगे कि ज्यादा तकलीफ हो रही है तो 10 मिनट आराम करने में कोई बुराई नही है। फिजियो से मदद ले सकते है।डॉक्टर्स से विचार विमर्श कर सकते है और सबसे जरूरी अपने मन की बात सुने ।क्विट करना कोई अपराध नही है।घायल होने से दौड़ छोड़ देना अच्छा विकल्प है।
अगर आपने अपना रजिस्ट्रेशन न करवाया हो तो तत्काल कराए 10 aug के बाद रजिस्ट्रेशन नही कर पाएंगे ।

Monday, July 30, 2018

Rainathon 2018 ,4 aug

दोस्तो आपने अब तक रजिस्ट्रेशन तो करवा ही लिया होगा रात की मैराथन याने की rainathon 2018 का ।
4 aug 2018 को सुपर कॉरिडोर पर यह rainathon होगी हम उम्मीद कर रहे है कि बारिश हो जाये परंतु प्रकृति पर किसी का बस नही चलता है।पानी गिर जाए तो रनर के तो मजे ही मजे यदि न भी गिरे तो भी मजे ही मजे होंगे क्योकि हम सब अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए दौड़ेंगे और मिलेंगे जुलेंगे और साथ मे डिनर करेंगे। मै सुपर कॉरिडोर पर 8 मैराथन 42 km की कर चुका हूं 40 से ज्यादा हाफ मैराथन पिछले 5 वर्षों में।बहुत बढ़िया ट्रैक है दौड़ने के लिए ।कंक्रीट से न डरे क्योकि हम जॉगर्स है हमारी स्पीड काफी स्लो रहती है इसलिए हमारे घुटनो पर कुछ विशेष असर नही पड़ता है।
जो पहली बार दौड़ रहे है उन्हें बधाई।आपने फॉर्म भरा और स्टार्ट लाइन पर खड़े हो गए मतलब की आपका 21 km हो गया समझो।ये सिर्फ माइंड गेम है।कोई फर्क नही पड़ता कि आपने 2 घण्टे में किया या 4 घण्टे में ।पहली मैराथन 21 km पूरी करना ही बहुत बड़ी बात होती है।
सबसे पहले मेरी राय सभी नए रनर को यह रहेगी कि कोई टारगेट न रखे और ये सोचकर दौड़े की में मौज मस्ती करने आया हू जितना आप रिलैक्स रहेंगे उतना अच्छे से आप रन कर पाएंगे।शुरू के 2 से 3 किलोमीटर सिर्फ वाक करे और अपने शरीर की भाषा को सुने यदि आपने प्रैक्टिस की है और आप दौड़ते हुए बात कर पा रहे है मतलब आप ठीक है।पेनिकी न हो।जब भी लगे कि ह्यूमिडिटी हो रही है या जी घबरा रहा है तो आराम करें और वालंटियर्स की मदद ले मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध है।
आप आफिस से या काम से आये तो 6 बजे हल्का नाश्ता करके आये और हो सके तो बाथ लेकर आये आप तरोताजा फील करेंगे ।एक ब्लैक कॉफ़ी और एक केला जरूर ले ले दौड़ के पहले।
अपने रोज के काम वैसे ही करे जैसे करते है आफिस या काम से छुट्टी कतई न ले ।वर्कआउट को अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाये ।ये सब जानकारियां नए रनर के लिए है अगर हम दौड़ नही सके तो कोई बात नही वाक जरूर करे ।
पेअर रन में कुछ भी हो जाये अपने साथी का साथ न छोड़े।क्योकि हो सकता है कि आप तेजी से दौड़ते हो आपको चिढ़ भी छूट सकती है कि इतना धीरे क्यो दौड़ रहा है मेरा साथी ।याद रखिये आप एक व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हो।
इसे स्वास्थ दान भी कह सकते है किसी को अच्छी जिंदगी जीने की आदत लगाना।शायद मेरा यह ब्लॉग से मैं भी कई नए रनर को स्वास्थ्य दान दे सकू इसी अभिलाषा के साथ इसको विराम देता हूं।

Sunday, July 29, 2018

600 brm preparation

आज मैंने 90 km साइकिलिंग की विशेष कुछ नही था ।खासकर ब्लॉग इसलिए लिखने का सोचा कि हम बाद में भूल जाते है कि हमने इस बार क्या क्या किया था ।
आज सुबह उठा 4.15 am पर।और 1 ब्रेड बटर और चाय ली 750 ml पानी पिया।घर से ये सोच के निकला कि में 18की एवरेज स्पीड से ही साईकल चलाऊंगा बीच मे वाच को ऑटो पॉज में नही रखूंगा और बन्द भी नही करूँगा।शुरू के 4 km वार्म अप में निकल गए फिर पांचवे km से 45 km तक 24 से 25 की स्पीड रही जो मेरे लिए सामान्य नही थी ।एवरेज स्पीड 22.5 थी कही नही रुका ।चारपाई रेस्टोरेंट पर एक फोटो लिया और पोस्ट किया senda नमक लिया ।मेरे पैर thigh muscle में दर्द जैसा या भारीपन लग रहा था जैसे ही senda नमक लिया दर्द गायब।
57 km पर एक 500 ml की फ्रुइटी और 1 लीटर पानी की बोतल ली ।घर से 2 केले ले गया था 32 km के पहले खा गया।1 लीटर पानी की बोतल जिसमे 3 gm senda नमक 6 चम्मच शक्कर और 2 बड़े निम्बू डाल कर ले गया था।मतलब 90 km में 3 लीटर पानी लगा एक बार भी urination नही हुआ।5 कॉफ़ी बाइट खाई।
आज एक नया एक्सपेरिमेंट किया।सामान्यतः में गियर नही बदलता हु।
7 और 3 गियर पर ही गाड़ी चलाता हु आज मैंने शुरू से ही बड़े वाले 3 गियर और छोटे वाले 4 और 5 वे गियर पर ही गाड़ी चलाई।55 km के बाद बड़े सेकंड और छोटे 7 th गियर में गाड़ी चलाई जब थक रहा था।
आखिरी के 4 km 7 और 3 गियर में गाड़ी चलाई।
आज की राइड से ये सबक मिला कि प्रैक्टिस में तेज चला लो परंतु brm 600 में 18 से 19 के ऊपर नही चलाना चाहिए जिससे कि muscles थके नही और एग्जॉस्ट न हो।
4घण्टे 11 मिनट में हुई 90 km 21.5 की एवरेज स्पीड में यदि एवरेज स्पीड 19 होती तो 4 घण्टे 44 मिनट में होती ।33 मिनट बचाने के चक्कर मे थकना नही चाहिए।हर इंसान को अपनी बॉडी की सुनना चाहिए दुसरो से कभी भी तुलना न करे। उम्मीद है कि ब्लॉग से आपको फायदा होगा।
dryvyas@gmail.com
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Thursday, May 10, 2018

21 km daily nonstop run for 30 days

21 km daily for 30 days
31 मार्च को जब ब्लड डोनेशन किया उस समय मन मे विचार आया कि 1 अप्रैल से 21 km रोज रन करूँगा उस समय अपने आप पर मुझे बिल्कुल भरोसा नही था कि मै कर पाऊंगा या नही पहले एक ही बात सोची की 2 दिन करके देखे फिर जो होगा देखा जाएगा।इंदौर सुपरचार्जर की कांटेस्ट के प्रतियोगियों को मै मोटीवेट करना चाहता था।पिछले 6 माह में मैने सिर्फ 600 km की रनिंग की थी।और 3500 km की साइकिलिंग की थी 6 माह में उसमे 200,300,400 brm भी थी।
Backache के कारण मैंने रनिंग बंद की थी ।
साइकिलिंग काफी अच्छी होती है जब आपको इंजरी हो ।
खैर जब 6 दिन दौड़ते हुए हो गए तो काफी आत्मविश्वास बढ़ा।रोज सुबह अजय झांगजी का मैसेज और एक दिन पहले congratulations का मैसेज मिल जाता था मैंने कहा कि अजय जी इससे मुझे दौड़ना ही पड़ता है क्योंकि आप की बात रहना चाहिए।जितेंद्र चौहान ,मनमीत ,संजीव राजदान,राहुल तकालकर आदि सुपरचार्जर के मैसेज से जान आ जाती थी।
रोज सुबह उठना बहुत मुश्किल होता था।सिर्फ कमिटमेंट के कारण ही उठ पाता था।रोज में कहाँ दौडूंगा यह भी एक दिन पहले लिखता था जिससे किसी को साथ मे दौड़ना हो तो साथ आ जाये ।मैने एक समय फिक्स कर लिया था कि रोज 4.30 पर घर से निकलना है और 7.15 या 7.30तक घर पहुचना है।पहले के 6 से 7 दिन सुपर कॉरिडोर पर ही दौड़ा।एक दिन बेयरफुट एक दिन स्किनर्स पहन कर ।एक दिन राजेश पोरवालजी ने कहा कि मलहराश्रम आओ ।मैने कहा कि बेयरफुट में कंकर चिभते है पैर में और गोल गोल राउंड लगाना मुश्किल होता है।एक बार मे घर से दौड़ते हुए मलहराश्रम आ गया लूना सैंडल पहनकर ।12 km मलहराश्रम में दौड़ा और 9 km घर से आना जाना।
घर से रनिंग चालू करने और फिनिश करने का फायदा होता है कि आपका 40 से 50 मिनट आने जाने का समय बच जाता है।
रोज सुबह दौड़ने का मन नही होता था मन को यही समझाता था कि दौड़ चालू तो करो गाने मोबाइल के स्पीकर फोन पर चालू करके निकल जाता था कॉलोनी के कुत्ते 4 -5आकर देखते और उनकी आंख में आंख मत डालकर देखो वो बिल्कुल भी नही भोकेंगे।
उन्हें इग्नोर करो वो भी इग्नोर करेंगे।
पहला किलोमीटर हमेशा 8 मिनट और 30 सेकंड में होता था या उससे भी ज्यादा मैं बिल्कुल भी चिंता नही करता था।5 km तक आते आते एवरेज पेस 8.15के आसपास होता था अगले 5 km वार्मअप होने के बाद स्पीड भी बढ़ जाती थी और सारे दर्द भी गायब हो जाते थे।जो ankle में दर्द होता था दूसरे या तीसरे km पर वो भी खत्म हो जाता था फिर टारगेट पेस 7.52 के लिए 5 से 10 km थोड़ा तेज दौड़ता था जिससे 8.15 से 7.52का पेस आ जाये ।
7.52 का पेस मैने इसलिए चुना था कि मै सभी 21 km के रन 2 घण्टे 45 मिनट में ही करूँगा कभी भी उसके ऊपर यानी 2 घण्टे 46 मिनट हो गया तो मै छोड़ दूंगा।
जैसे ही 10 km होते मै बेफिक्र हो जाता कि आज का दिन तो अब निकल ही जायेगा।
मेरा इंदौर मैराथन में पेस 5.55 और 2 घण्टे 4 मिनट का समय था।40 मिनट स्लो रन किया जिससे इंजरी नही हुई और करीब 2 min स्लो पेस।
सुपर कॉरिडोर पर मेघना के साथ दौड़ते हुए एक बार पथ्थर गढ़ गया पैर में ।उसने बहुत परेशान किया जब भी कोई कंकर उसी जगह लगता तो चीख निकल जाती थी इसलिए उसे ठीक करने के लिए लूना सैंडल मजबूरी में पहने।कितनी बार तो ऐसा हुआ कि सैंडल से discomfort हो रहा था ankle में दर्द बढ़ रहा था तो सैंडल कमर के बेल्ट में फंसा कर दौड़ने लगा।
21 km रोज दौड़ने में 2 चीजो का बहुत ध्यान रखना पड़ता था ।
एक तो पौष्टिक खाना
दूसरा रिकवरी
घर से जब निकलता था तो एक ब्लैक कॉफ़ी 10 बादाम 2 बिस्कुट खाकर निकलता था 1 लीटर पानी सुबह उठते ही पीता था।हाइड्रेशन बहुत जरूरी है।अपने साथ 600 ml की बोतल ले जाता था उसमें 3 fastandup की इलेक्ट्रोलाइट की टेबलेट डालता था 2 निम्बू और 4 चम्मच शक्कर।
साथ मे 3 -4 कॉफी बाईट और पल्स टॉफी ले जाता था।
घर आकर सबसे पहले नहाता था फिर स्ट्रेचिंग और 500 ml ढूध और 15 gm whey प्रोटीन on का लेता था फिर पोहा या उपमा एक केला 1 घण्टा रेस्ट 9 से 10 फिर क्लिनिक साढ़े दस से 2 बजे और फिर लंच में 2 रोटी दाल चावल सब्जी दही ।डेढ़ घण्टे आराम वापस ।5 से 6 बजे तक ankle की बर्फ से सिकाई ।हाँ एक बात बहुत जरूरी है कि घर से निकलता जब वजन 72 और वापस दौड़ कर आता तो 70.5 होता था मतलब की 3 लीटर sweat loss होता था 3 घण्टे में जब शाम को अच्छे से urination होती थी और यूरिन आउटपुट अच्छा होते ही पैरो का दर्द खत्म हो जाता था ।दिन भर में 6 लीटर पानी पी जाता था।
शाम को साढ़े 6 से साढ़े 8 क्लिनिक और साढ़े 9 बजे सो जाना।
यह सब इसलिए लिखा कि कोई यह करना चाहे तो काफी अनुशासन में रहना पड़ता है।
शरीर कहता है कि आराम करो ,मन कहता है कि जो कमिट किया है वो करो।ये द्वंद रोज चलता था।एक तो सुबह उठ जाओ दूसरा घर से बाहर निकल जाओ भले ही पैर मना करे।और आधा घण्टा रोते गाते भी दौड़ लिया मतलब आपकी दौड़ पूरी हो गयी।3 घण्टे के वर्कआउट में शुरू के 30 मिनट ही महत्वपूर्ण होते है।
बीच मे जब 21 दिन हुए तो डॉ पारिख सर ने कहाँ की अब खत्म कर दो मैंने सर से वादा किया कि मैं अभी एकदम ठीक हु और बिल्कुल इन्जुरेड होकर रन नही करूँगा।आखिरी के 7 दिन मैंने सोचा कि यूनिवर्सिटी में रन करूँगा ।वहाँ पर डॉ पासी ,गुरिंदर,अपूर्व मिश्र जी,अखिलेश जैन,संजय बिरला,मंगा जी,barfa जी आदि काफी लोग मिल जाते थे ।स्ट्रेचिंग करने में या यूनिवर्सिटी के मोड़ के कारण मुझे 26 वे दिन मोच आ गयी ।लेफ्ट एंकल शाम 6 बजे तक भी दर्द कर रहा था मैंने सोचा कि अब समय आ गया है छोड़ने का।हेमा ने पहली बार मुझे कहा कि अब 4 दिन तो बचे है कर डालो मैने कहा कि मजाक नही है।सुभाष मसीह जी की व्यक्तिगत पोस्ट मुझे काफी प्रोत्साहित करती थी।एक बार नीरज याग्निक जी से बात हुई उन्होंने कहाँ की जो आपको अच्छा लगे वो जरूर करो यही बात विवेक सिंघल जी ने भी कही ।
21वे दिन सुरेश लाहोतीजी,विकास जैन,अर्पित जैन,मोहित,जोनी भाई नीरू भाभी,संदीप कायल,पारिख सर,अजय झांग ,डॉ जितेंद्र माधवी ,आये बहुत अच्छा लगा ।आखिरी दिन विजय जी,रजनीश जी,अजय झांग,अखिलेश,जावेद खान,पारिख सर,डॉ जोशी सर आदि लोग आए ।
इस रन का मकसद ये था कि थोड़ा endurance बढ़ जाये।वजन घट जाए।और सभी को दौड़ने के लिए प्रेरित कर सकूं।
उम्मीद है कि यह ब्लॉग सभी को पसंद आया होगा।पढ़ने ले लिए धन्यवाद।
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