Sunday, June 19, 2022

चारधाम यात्रा

1 जून से 12 जून 2022 तक कि यात्रा हम लोगो ने प्लान की मैप माय ट्रिप के साथ ।उसमे दिल्ली से पिकअप था टेम्पो ट्रेवलर द्वारा और फिर 12 दिन तक एक ही टेम्पो ट्रेवलर और एक ही ड्राइवर पूरे समय रहेगा ऐसा बताया गया।उसमे ब्रेकफ़ास्ट और डिनर ,होटल का खर्च भी included था।32500 per person
इन्दौर से दिल्ली 3AC के आने जाने के टिकट को मिलाकर 35000 per पर्सन खर्च आना था।
14 मई 2022 तक ही उन्हें 10 लोगो का फुल पेमेंट कर दिया था।29 तारीख तक होटल वाउचर नही मिले तो doubt हुआ कि फर्जी बुकिंग तो नही हुई ।फिर कॉल सेन्टर पर बात की तो बताया कि आपकी बुकिंग नही है।बाद में बताया कि प्लान customise होता है तो my booking ऑप्शन में नही दिखता हैं।
खैर हम लोग 31 मई को indore से निकले 7.30 पर शाम को इन्दौर अमृतसर ट्रैन से अगले दिन सुबह 11 बजे निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन पहुचे वहाँ पर हमें हमारे ड्राइवर मोहन योगी मिले।10 लोगो का laggage बहुत हो गया था।शाम को हरिद्वार पहुचे होटल जाने की बजाय गंगा आरती करने और हर की पौड़ी में स्नान करने पहुच गए।गंगा मैय्या का पानी बहुत साफ था।10वर्ष पहले आया था तो नही नहाया था इस बार नहाया भी और तैरने लगा तो पॉलिथीन कपड़े पैर में चिपकने लगे।
लोगो को गंगा में प्लास्टिक नही डालना चाहिए।पुराने कपड़े भी वहाँ नही छोड़ने चाहिए।
दिल्ली से हरिद्वार के रूट में सबने गाने गाए ।एक स्पीकर,एक माइक था हमारे पास।हमारे सदस्यों का परिचय भी करवा दूँ।
डॉ हेमा व्यास,मेघना व्यास,और मैं
डॉ सुचिता काले,डॉ रवि काले,तारामती काले,संतोष विन्चुरकर
माधवी बरानिया
सुशीम पगारे और डॉ निलिमा पगारे
हरिद्वार में पहली होटल कृष्णा फ़ूड जंक्शन में डिनर किया और सो गये बहुत थक गए थे।
सुबह नाश्ता करके बरकोट के लिए निकले 205 km है।6 से 7 घण्टे लगते है।
बरकोट में ओक सेडार होटल में रुके।वहाँ हम 2 दिन रुके ।एक सरकारी स्कूल के टीचर ने बनाया है होटल को और उन्ही के स्कूल के बच्चे उस होटल को चला रहे है।2 दिन उन्होंने इतने प्यार से और बढ़िया घर जैसा गर्मागर्म खाना खिलाया ।ब्रेक फ़ास्ट और डिनर
अगले दिन यमनोत्री के लिए निकले हम इस मूड में थे कि 5km तो है 2 घण्टे चढ़ने के और 2 घण्टे उतरने के लगेंगे।सुबह हम 3बजे निकले और 7बजे हम जानकी चट्टी पहुचे गाड़ी में ही खाना खाया हमारे साथ डॉ रवि काले सर की माँ तारामती काले जी थी उनको पिट्टू करवा दिया 6000 में खच्चर का रेट 2500 है चढाई का ।अब चढ़ाई चालू की तो बहुत मजे से डंडे लेकर आगे आगे चल रहे थे हम जेंट्स लोग ।फिर माधवी ने कहा कि आप लोग हम लोगो के साथ चलो ।तो मैंने भी वादा किया कि अब सबसे पीछे चलूंगा ।
1से डेढ़ km पर हेमा को सांस में कुछ तकलीफ सी होने लगी हम लोग 10 मिनट बैठे और फिर एक घोड़े पर हेमा को बिठा दिया।मेरी garmin वाच भी दे दी कि हार्ट रेट देखते रहना।
हम लोग 7.30 पर निकले सुबह और 2 बजे यमनोत्री माता के दर्शन कर पाए।भीड़ बहुत थी 6 से 7 फ़ीट चौड़े ट्रेक पर एक घोड़ा ऊपर से आ रहा था एक नीचे से ऊपर जा रहा है उतनी ही जगह में पेदल यात्री भी जा रहे थे।4 लोग मिलकर एक पालकी बना कर दौड़ लगाते थे।कितने ही लोग घोड़े से गिरे।घोड़े भी फिसल जाते है।एक इंसान को 4 लोग पालकी में ले जाते है।उनकी मजबूरी है।
एक अंकल 70 प्लस के होंगे वो जमीन पर साइड में बैठे थे।उनकी सांस फूल रही थी ।उसके बाद भी पालकी वाले ने उन्हें उतार दिया।पालकी वाले को समझाया कि उनको मत चलाओ उन्होंने पालकी ली ही इसलिए कि वो चल नही सकते है।वो कहने लगा साहब हमारी भी मज़बूरी है अन्यथा हम ये काम नही करते।
रास्ते मे खाने पीने की दुकान है ज्यादा सामान ले जाने की कोई जरूरत नही होती है।हमारे किस्मत अच्छे थे कि बारिश नही आई।
वहाँ हमारे साथ सबसे बड़ी चीटिंग ये हुई कि हर कोई झूठ कह रहा था कि 5km ही है जबकि चढ़ाई 11 km और वापस उतरना भी 11 km है।
वहाँ बताया कि 18 कैची आएगी मतलब 18 मोड़ मिलेंगे और चढ़ते जाओ ।
हर कोई कहता कि 2 km बचा है घंटे भर चढ़ने के बाद वापस कहते कि 2 km और है।
जानकी चट्टी पर 2650 मीटर का एलिवेशन था ऊपर 3150 मीटर 
देखा जाए तो 500 मीटर का एलिवेशन ही था ।परंतु सकड़ा रास्ता और टट्टू वालो और पालकी वालो से मूड खराब हो जाता है।हर मोड़ पर रुकते प्राकृतिक सौंदर्य को निहारते हुए बढ़ते जा रहे थे आखरी 1km में हेमा दिखी वो पैदल आ रही थी ।रास्ते मे सिग्नल नही मिलते है।उसको देखकर जान में जान आयी कि वो स्वस्थ है। माधवी भी बगैर दर्शन करे जा रही थी मैंने कहा कि अपन लोग कोशिश तो करे।भीड़ बहुत थी ।मंदिर तक पहुचे ।दर्शन किये ।गर्म पानी के कुंड में नही गए ।यमनोत्री में पानी इतना बर्फीला था कि 1 min में पैर सुन्न होने लगे।पानी भरा और बाहर निकल आये।वहाँ पर पूरी यमनोत्री में महिलाओं ने साड़ियां नदी को चढ़ाई थी ।शायद हमारी संस्कृति के हिसाब से चुनरी चढ़ाते है।
उतरते समय मे अकेला उतरा बहुत तेजी से सिर्फ 2 ब्रेक लिए साढ़े 5 बजे जानकी चट्टी पहुच गया।जल्दी उतरने का नुकसान ये हुआ कि नीचे आते आते में एग्जॉस्ट भी हो गया और कुछ खाया भी नही।सिर्फ अमूल का दूध पिया और निम्बू पानी।पार्किंग भूल गया कि किस जगह गाड़ी खड़ी है।हेमा ने बताया कि चौहान पार्किंग है।
संतोष काका,सुचेता और माधवी को आने में 7 बज गए ।होटल पहुचे खाना खाया और सो गए ।बहुत थकाने वाली यात्रा थी यमनोत्री की ।सभी ने 21 km का वाक किया।
यमनोत्री का रूट बहुत ही खराब है बरकोट से जानकी चट्टी वाला
हमारे वहाँ से निकलने के बाद अगले दिन एक पन्ना से आये हुए तीर्थ यात्रियों की बस पेड़ से टकरा कर गिर गयी 26 यात्री मारे गए।ड्राइवर 2 दिन से सोया नही था।हमारा ड्राइवर बहुत अच्छा था हमने कह रखा था कि रोज अच्छे से खाना है और सोना है और कोई जल्दी नही।कोई ओवरटेक नही।
उसका जवाब भी जोरदार था कि साहब मेरी 4 लडकिया और एक लड़का है मुझे भी अपनी भी चिंता है।
अगले दिन उत्तरकाशी गए 85 km है बरकोट से।
शाम को उत्तरकाशी के बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन किये।
फिर उत्तरकाशी से गंगोत्री गए 97 km पूरा दिन गाड़ी में शाम को होटल ।गंगोत्री में बताया कि 500 मीटर ही चलना है जबकि 2 km चलना पड़ा।गंगोत्री का पानी बर्फीला था।ग्लेसियर पिघलने से एकदम बर्फ जैसा पानी।
गंगोत्री में पानी का बहाव बहुत तेज होता है।अपनी बहादुरी झाड़ते हुए एक मग लेकर गंगा मैया के किनारे गया और 4 मग पानी डाल लिया सीधा सर पर।एकदम से तारे नजर आने लगे।घाट से ऊपर आया ।सबको बताया फिर कपड़े चेंज करने का सोचने लगा कि इतनी देर में बॉडी एडजस्ट हो गयी वापस मग लेकर गया और सभी को पानी दिया नहाने के लिए।पैर एकदम से ठंडे हो गए थे।निलिमा मैडम ,सुचिता मैडम ,हेमा ,मेघना सभी ने इतने ठंडे पानी मे स्नान किया।आजी 82 yr की है उन्होंने भी आराम से स्नान किया ये श्रद्धा का मामला है।
खैर लाइन में लगे डेढ़ घण्टे में गंगोत्री मन्दिर में दर्शन किये।शाम को होटल आये तो बहुत खांसी होने लगी शायद 15 min चिल्ड पानी मे पैर रखने से या एलर्जी से।
इतनी खांसी थी कि मुझे लगा कि भगवान मुझे केदारनाथ के दर्शन नही होंगे ।इंजरी भी बढ़ गयी थी चलने में भी दर्द हो रहा था।
पिठ्ठू बहुत माथाफोड़ी के बाद 10000 में हुआ सरकारी रेट 7000 है।घोड़े का 2500 ।
7 जून को सुबह 2 बजे उठ गए और 3 .15 पर होटल से निकले 2 घण्टे में सोनप्रयाग पहुच गए ।फिर वहाँ पर बताया कि गाड़ी आगे नही जाएगी।गौरीकुंड तक शटल चलती है ।सोनप्रयाग से गौरीकुंड 5 km के 50 रुपये प्रतिव्यक्ति।स्कार्पियो से।

उसके लिए 2 घण्टे की 2km लंबी लाइन थी ।जैसे तैसे गौरीकुंड पहुचे।फिर हम सब ने तय किया कि आजी को पिठ्ठू करवा देंगे ।माधवी को भी टट्टू करवा देंगे।
बाकी लोगो ने सुबह 7 बजे से चलना चालू किया।मैं ,मेघना,और सुशीम साथ साथ चल रहे थे।
पीछे संतोष काका और डॉ रवि और उनके पीछे हेमा,नीलिमा,और सुचिता थी।
हमने कई शार्ट कट वापरें।शार्ट कट से 100 -100मीटर के बड़े रास्ते 20 से 30 मीटर में हो जाते और घोड़ो पालकी वालो से बचाव हो जाता है।काफी ट्रैकिंग हो गयी ।उसमे पैर स्लिप होने का भी डर होता हैऔर जांघो में दर्द भी होता है।
हमने कई शार्ट कट वापरें।
1800 मीटर का एलिवेशन है सोनप्रयाग में केदारनाथ में 3500 मीटर मतलब 1700 मीटर की चढ़ाई
On the up run they appear in the following order: Cowies Hill, Fields Hill, Botha's Hill, Inchanga, and Polly Shortts. The highest point of the race, at 2,850 feet (870 m) above sea level, is situated near the Umlaas Road interchange.
कामरेड मैराथन में 870 मीटर का एलिवेशन होता है।कामरेड मैराथन में 90 km करना होता है 12घण्टे में जबकि हमने 12 घण्टे में 24 km ही किया ।कोई तुलना नही है।बस समझने के लिए की कितना ज्यादा एलिवेशन है।
शाम 7 बजे पहुचे ।पूरी तरह थक गए थे फिर दर्शन की लाइन में लग गए हमारे किस्मत अच्छे थे कि बारिश नही आई।वहाँ एक टी शर्ट में ही पहुच गया 2 घण्टे की लाइन के बाद बाबा केदारनाथ जी दर्शन हुए हम धन्य हो गए।2 माह पूर्व कोई कार्यक्रम नही था चारधाम का बस बाबा ने ही हमे बुलाया इसलिए हम पहुच गए कितनी ही तकलीफों के बावजूद भी।माधवी और आजी पहले ही आ गयी थी।बीकानेर हाउस में एक डोरमेट्री दी हमे 10 लोग एक कमरे में या हॉल में सोए।खिचड़ी कड़ी खाकर सो गए मुझे बिस्तर में आकर ठंड लगने लगी जीन्स शर्ट जैकेट पहनकर ही सो गया।
सुबह 6 बजे उठे हम सब लोग और तैयार होकर मंदिर आ गए संतोष काका पूर्व जेलर और एस पी रहे थे उनके कारण हमारे vip दर्शन हो गए ।फिर 7 से 10 तक वही मन्दिर में रहे।सब लोगो ने फ़ोटो खिंचे।प्रसाद लिया।
हमने आलू पराठा खाया।और 10.30 से नीचे उतरना चालू किया।रास्ते मे मैग्गी खाई।समोसा भी खाया और ध्यान रखा कि उतरना चढ़ने से भी कठिन है क्योंकि घुटने पर डायरेक्ट लोड आता है।एक से डेढ़ km का शार्ट कट लिया।बीच मे हल्की सी बूंदाबांदी भी हुई।हमारी टीम एक जैसी ही थी मेरे साथ मेघना और सुशीम थे ।हमने हमारे सारे बैग पिट्टू पर रख दिये थे।उसका 6000 चार्ज लगा परंतु उससे हमारे हाथ फ्री हो गए ।
7 बजे गौरीकुंड पहुचे एक होटल में खाना खाया।और 7.30 पर पिट्टू के पास पहुचे वो सामान लेकर पहले ही आ गया था।पिठ्ठू वाले अपना आइडेंटिटी कार्ड आपको सौप देते है जिससे आपको भरोसा भी हो और कोई सामान लेकर या व्यक्ति को लेकर कही चला जाये तो आप रिपोर्ट भी कर सकते हो
गौरीकुंड पर मेघना ,सुशीम और में 7.30शाम को पहुचे।
वहाँ पिट्टू वाले को उसका 10000 पेमेंट किया उसका आइडेंटिटी कार्ड वापस किया।दूसरा पिट्टू वाला सारा luggage लाया था उसे भी 6000 पूरा पेमेंट करके बिदा किया।
उन्होंने बताया कि शटल गौरीकुंड से सोनप्रयाग के लिए 2 से 3 घण्टे की 2 km की लाइन है।हमारे तो होश उड़ गए ।हमारे पास पिट्टू वाला लगेज था 6 से 7 बैग ।हमने प्लान किया कि लाइन में तो लगे में और पगारे जी लाइन में लगे मेघना को कहा कि आजी को लेकर आओ धीरे धीरे।थोड़ी देर बाद सोचा कि मेघना को और आजी को भी आगे लाइन में ले आता हूं।अंधेरा था लाइन में चेहरे पहचान नही आ रहे थे।आवाज लगाता हुआ बढ़ रहा था मेघना मेघना उसने देख लिया वो आजी के साथ थी पुलिस ने परमिशन दी थी कि बुजुर्ग है इसलिए आगे चले जाएं।हमे आजी के कारण लाइन में खड़ा नही रहना पड़ा।एक शटल में बैठ गए हम चारो ।सोनप्रयाग में उतरे तो बताया कि यहाँ से डेढ़ km दूर सीतापुर पार्किंग है जहाँ हमारी टेम्पो ट्रेवलर खड़ी थी।
मैंने एक बड़ा बैग जिसमे 6 से 7 बैग थे उसको पीठ पर लिया सुशीम ने भी 3 से 4 बैग ले लिए 600 -700मीटर चलने के बाद हमने पुलिस से हेल्प मांगी तो उन्होंने कहा कि कोई गाड़ी जा रही हो तो उसमें बिठा देंगे।फिर हमें एक स्कोर्पियो मिल गयी वो 500 रूपये में छोड़ने को तैयार हो गया।अब समस्या ये थी कि इतनी बड़ी पार्किंग में गाड़ी कैसे ढूंढेंगे।ड्राइवर को कहा कि पैदल आओ गेट तक और हमारे साथ चलो ।इस प्रकार जैसे ही हम हमारी टेम्पो ट्रेवलर में पहुचे सांस में सांस आयी।
अभी बाकी 6 लोग पीछे थे ।वो 11 बजे तक टेम्पो ट्रेवलर में आये।हेमा,निलिमा,माधवी की तबियत खराब लग रही थी।इन सब लोगो ने खाना नही खाया था और देर भी बहुत हो गयी थी सभी exhausted थे।
हमारा होटल गुप्तकाशी में हिमालयन आर्किड था परंतु रूम खाली नही होने पर हमें केदार वैली रिसोर्ट में दिया था ।रात को 12 बजे पूछा कि खाना मिलेगा क्या होटेलमे रात को तो बताया कि आपकी एक दिन की बुकिंग थी अब आपको हिमालयन आर्किड जाना होगा।रात को हमने luggage शिफ्ट किया और खाना खाया और सो गए ।हिमालयन आर्किड अच्छी होटल है।सुबह हमे गुप्तकाशी से बद्रीनाथ के लिए निकलना था।
मेडिकल से ascoril exp ली और कॉम्बिफ्लेम ली ।सभी को खांसी हो रही थी।
ओम कुटीर होटल में रुके बद्रीनाथ में।बहुत अच्छा खाना खिलाया।
सुबह दर्शन करने निकले 10 .30 बजे ।पहले कोशिश की की vip दर्शन हो जाये परंतु आजी,संतोष काका और सुशीम को छूट दे दी उनके vip दर्शन हो गए बाकी हम सब लाइन में लग गए 4 घण्टे में नंबर आया भगवान बद्रीनाथ के दर्शन बहुत अच्छे से हो गए।उनको लाइव दर्शन के लिए लेड टीवी लगाना चाहिए।
200 km के लिए 7 से 8 घण्टे लगना थे।सुबह नाश्ता करके 9.30 पर निकल गए ।शाम को बद्रीनाथ पहुचे बारिश भी शुरू हो गयी थी और ठंड भी बढ़ गयी थी ।सुशीम की तबियत अच्छी नही थी उन्हें बुखार भी आया और ठंड भी बहुत लग रही थी।बाकी सबकी तबियत भी बहुत अच्छी नही थी।


मैं मेरी जिंदगी में कभी किसी मंदिर में इतनी देर तक लाइन में नही लगा।खजराना मन्दिर भी कभी बुधवार को नही गया।परंतु चार धाम यात्रा में 2 से 4 घण्टे की लाइन में रुककर दर्शन किये।
शाम को 5 बजे बिरही के लिए निकले और 9 बजे तपोवन रिसोर्ट पहुचे।खाना खाया और जाकर सो गए बहुत सुंदर रिसोर्ट है।
सुबह जल्दी उठ गया नमक के पानी के गरारे किये,चाय बनाकर पी ।रूम में ही चाय बनाने का सामान था।8 बजे नाश्ता किया आलू परांठा दही ।
11बजे निकले तपोवन रिसोर्ट से 8 बजे शाम को हरिद्वार पहुचे।कृष्णा फ़ूड जंक्शन में।सभी होटल अच्छी मिली ।
एक भागीरथी पैलेस को छोड़कर।
हरिद्वार सुबह जल्दी उठ कर गंगा आरती के लिए पहुचे 5 बजे आरती हो चुकी थी ।हम 6.30 पर पहुचे थे बहुत भीड़ थी सुबह भी।कल रात को सुशीम ने कहा था कि फ्लाइट करवा दो तो उनकी फ्लाइट रात को ही बुक कर दी थी।उनकी तबियत ठीक नही हो रही थी।
दोपहर को हम साढ़े 3 बजे अक्षरधाम पहुच गए थे।डॉ काले के भाई और भाभी वहाँ आने वाले थे।
सुचेता मैडम को तेज बुखार आ गया था ।स्टेशन पर ही ।बाकी हम सब भी खांस ही रहे थे।सुबह हुई तो पता चला कि गाड़ी 2 घण्टे लेट चल रही है।साढ़े 3 बजे इन्दौर पहुचे चेतन ,ध्रुवी,बड़े भाभी,संगीता भाभी,और पप्पी भाभी हार लेकर रेलवे स्टेशन आये थे।सभी ने फ़ोटो खिंचाए।रवि काले जी से बिदाई की झप्पी ली ।
हम लोग अक्षरधाम के मेट्रो स्टेशन के माल में हल्दीराम के एक बड़े आउटलेट में बैठ गए और सबने वहाँ बैठकर कुछ खाना खाया और फिर साढ़े 5 बजे रेलवे स्टेशन पहुच गए।ट्रैन का समय 8 .15 था ट्रैन डेढ़ घण्टा लेट थी 3 से 4 घण्टे स्टेशन पर गर्मी में हम लोग पक गए।सामान इतना था कि हम वेटिंग रूम में भी नही जा सके गाड़ी आनेवाली थी प्लेटफॉर्म no 5 पर और प्लेटफॉर्म नंबर एक पर वेटिंग रूम था।
अब मेरी राय है कि जिन्हें पैदल पैदल ही केदारनाथ करना है उन्हें रात में यात्रा करनी चाहिए ।शाम को 4 या 5 बजे चालू करो सुबह 5 बजे खत्म ।रात को यात्रा करने का फायदा यह रहेगा कि भीड़ नही मिलेगी ।टट्टू वाले,पिट्ठू वाले,और पालकी वाले नही मिलेंगे।परंतु प्राकृतिक सौंदर्य को देखने से वंचित रह जाओगे।
दूसरी राय जिनको लगता है कि वो नही चढ़ सकते है वो हेलीकॉप्टर बुक कर ले।परंतु हेलीकॉप्टर 8 मिनट में पहुचा देगा।यात्रा का असली आनंद पैदल चल कर करने में ही है।
हम 10 लोगो मे से 2 को हॉस्पिटल में भर्ती होना पड़ा और बाकी 8 को भी सर्दी खासी आज तारीख 19 जून तक बनी हुई है।
खांसी का कारण ओवर exersion या थकान ही है।36 घण्टे में 20 घण्टे चढ़ाई और उतराई की 48 km की।
जय केदारनाथ जी की
जय बद्रीनाथ जी की
 जय गंगोत्री मैया की

1 comment:

Akshay Joshi said...

बहुत अच्छा ब्लॉग लिखा आपने मामा।🙏🏻इससे चार धाम यात्रा के बारे में काफ़ी जानकारी प्राप्त हुई।