इस बार मैं अपने पिछले 6 माह के अनुभव को सबके साथ साझा कर रहा हू।
एक समय था जब मैं अति करता था।मेरी पहली मुम्बई मैराथन के पहले मैंने इंदौर में 5 बार 42 km की रन की थी प्रत्येक रविवार और 6th sunday को मुम्बई मैराथन की थी ।2014 में।
फिर एक माह तक यूनिवर्सिटी में 10 km डेली बेयरफुट रनिंग की थी।
ज्यादा वर्कआउट करने से मुझे सभी प्रकार की इंजरी हुई।
उसमे itb iliotibial band syn बैंगलोर अल्ट्रा के बाद 50km की रन 9 घण्टे में कई थी उससे चिढ़ कर 15 दिन बाद ही davv में 50 दौड़ा 7 घण्टे 40 मिनट में।
फिर मंथली मैराथन और करने लगा उससे itb हो गया।
अब मुद्दे की बात 4 वर्षो बाद अब समझ मे आया कि रेस्ट या आराम कितना जरूरी है।
मैं यह ब्लॉग विशेषकर नए रनर के लिए ही लिख रहा हु कितनी बार हम तालियों की गूंज के बीच फैसला ही नही कर पाते है कि हम कुछ गलत कर रहे है।
शरीर को रिकवरी के लिए समय लगता है ।वो समय जरूर देना चाहिए।
sept 2017 से मेरी कमर में हल्का सा दर्द होने लगा मैं उसे इग्नोर करता गया और फिर आखिर कार वाक भी नही कर पा रहा था तो डॉ जितेंद्र बरनिया ने कहा कि अपन brm 200 300 करते है मैं तैयार हो गया ।लोकेश त्रिवेदी जी के साथ mhow की ट्रिप कई बार लगाई।
200 हो गयी 9 घण्टे और 30 मिनट में बहुत खुश था।
उसके बाद iim की रेस में भाग लिया फ्लैग ऑफ भी किया और दौड़ा भी 2 घण्टे 12 मिनट में पूरी की ।अच्छा समय निकला मेरे हिसाब से ।फिर भोपाल मैराथन 3 dec को थी उसमें काफी हिल रनिंग थी फिर भी अपना समय 2 घण्टे 11 मिनट रहा 21 km के लिए और फिर 300 km साइकिलिंग 9 dec को और 16 dec को 400 km साइकिलिंग भी कर ली।सिर्फ आराम करके ही मेरे पास मुम्बई मैराथन की ट्रेनिंग का बिल्कुल समय नही था।आखिरी के 12 दिन आराम करना था और 18 दिन में 3 बार 21 km किया और एक बार 35 km किया।
आराम का फायदा ये रहा कि मुम्बई मैराथन में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया 42 km 4 hrs 53 min
उसके बाद अपनी इंदौर मैराथन में 2 घण्टे 4 मिनट में 21 km किया जो कि मेरा सर्वश्रेष्ठ समय रहा 21 km का।
कहने का मतलब यही है कि वर्कआउट कम करो बॉडी की सुनो ।जब muscle में बिल्कुल soreness न हो जब ही वर्कआउट करे।
मैं कोई gym नही जाता हूं ।सिर्फ 5 km वाक डेली करता हु या 20 km साइकिलिंग डॉ हेमा के साथ करता हु।
साइकिलिंग के मेरे अनुभव खट्टे मीठे रहे है।300 brm के समय सोनकच्छ से देवास तक बगैर लाइट के साईकल चलाई थी।
400 brm में 220 km पर साईकल पंक्चर हो गयी थी और उसके बाद ब्रेक चिपक रहे थे पिछले वाले इसलिए बगैर ब्रेक साईकल चलाई 180 km नतीजा ये रहा कि क्षिप्रा पर मुझे नींद का झोंका आया और अगला ब्रेक लगाया और में ब्रिज से टकरा कर गिर गया था।
24 feb को 600 km brm का भी कुछ अलग ही अनुभव था।
मैं इंदौर से रतलाम तक अच्छी साईकल चला रहा था 24 कि avg स्पीड थी 80 km तक फिर dehydrated होने लगा ।रतलाम में खाना भी नही खाया और जल्दी से निकल गया।ये एक बहुत बढ़ी गलती थी ।मुझे आराम करना था ।उसके बाद घाटा बिल्लोद पर शाम को 7 बजे रास्ता भटक गया और बेटमा बाईपास पर निकल गया और फिर 5 km के बाद मुझे लगा कि कुछ गलत रास्ते पर हु।फिर पलटा और वापस घाटा बिल्लोड से पीथमपुर होते हुए राऊ जाना था में mhow के सोनवाय और भैंसलाय गांव की तरफ चला गया ।
परेशान होकर जब 10 .40पर iim rau पहुचा तो क्विट करने का सोच लिया था क्योंकि मुझे नींद आ रही थी।kk yadav, manish ,गिरीश भालेराव आदि ने मेरी हिम्मत बंधाई फिर नीरज याग्निक ,डॉ जितेंद्र बरनिया और अजय झांग ने भी रात को 12.30तक मुझे समझाने की कोशिश की की मत छोड़ो परंतु में टूट चुका था नींद आ रही थी मैने कहा कि 600 brm से ज्यादा जरूरी मेरी जान है।सभी का यह अहसान में जिंदगी भर नही भूलूंगा।मुझे काफी सपोर्ट किया।
कभी भी क्विट करने से न डरे ।अगर जान बची तो आज या कल कभी भी 600 brm कर लेंगे।
10 मार्च को मैने नया अनुभव लिया 2 घण्टे सेहोरे में रुका भी और अच्छे से खाना खाया।और रात को 2 से 5.30 बजे तक घर आकर सोया और 6.15 सुबह से 11 बजे तक मे 90 km साईकल चलाई ।यानी कि 29 घण्टे में 400 km अब सेप्ट में 600 km साइकिलिंग का अंतिम प्रयास करूंगा ।
सोकर भी 600 brm की जा सकती है 3 घण्टे सोने के बाद उज्जैन पंथ पिपलाई तक गया था ।90 km मैन 4 घण्टे 45 मिनट में पूरा कर लिया ।रेस्ट से फायदा होता है ।अंतिम निष्कर्ष यही है।
सभी को ये ब्लॉग अच्छा लगेगा और मेरे अनुभव से किसी को फायदा होगा।
सभी को धन्यवाद इतना लंबा ब्लॉग पढ़ने के लिए
dr yogendra vyas
dryvyas@gmail.com
14 march 2018
Tuesday, March 13, 2018
आराम करने का फायदा
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