दूसरा मन को कैसे बेवकूफ बना कर दौड़े।
कोरोना के बाद सामान्य लोगो के लिए राय यह है कि वे आखिरी लक्षण जैसे बुखार या खांसी के खत्म होने के कम से कम 2 माह बाद वर्कआउट चालू करे ।मुझे 11 अप्रैल को हल्की सी खांसी थी बुखार बिल्कुल नही आया था।वीकनेस भी नही थी 13 को रैपिड एंटीजन करवाया वो नेगेटिव आया ।फिर बिटिया की जिद पर rtpcr करवाया तो 16 अप्रैल को पॉजिटिव आया।मेरे दोनों डोज़ 20 दिन पहले याने की 27 मार्च को लग गए थे।16 से 22 तक पूर्ण बेड रेस्ट पर रहा ।जिंदगी में ऐसा पहली बार हुआ।कोई तकलीफ नही थी उसके बाद भी पूर्ण आराम किया एक कमरे में isolate होकर।खूब खाया 2 kg वजन बड़ा लिया।
मुझे डर ये था कि होशियारी मारी तो गंभीर हो सकते है और फिर भर्ती करना पड़ सकता है।इसलिए चुपचाप दही बनकर बिस्तर पर पड़े रहा ज्यादा होशियारी मारने वालो का रायता बन गया।
22 से 2 km वाक चालू किया
दूसरे दिन भी 2 km वाक दौड़ने पर कमजोरी महसूस हो रही थी तीसरे दिन बेटी के साथ 1 km दौड़ लिया ।इस प्रकार धीरे धीरे वर्कआउट चालू किया ।कभी साईकल कभी रनिंग कभी वाक
सभी से निवेदन है कि अपनी बॉडी को समझे और फिर ही वर्कआउट का सोचे।वैसे 2 से 3 माह आराम करना सही है।प्राणायाम कर सकते है।कार्डियो बिलकुल न करे।कम से कम 1 माह।
अब आज के ऊपर आता हूं।आज कोई मूड नही था कि 21 करूँगा।बस मन मे कही न कही टीस थी कि 3 घण्टे में भी 21 तो होए।
घर से 3 पल्स टॉफ़ी और मास्क और पॉलीथीन लेकर निकला कि कही बारिश आ गयी तो मोबाइल को रख लेंगे ।दौड़ते वक्त में मास्क नही लगाता हु।कोई पुलिस वाले अंकल मिल जाये तो लगा ले इसलिए रखता हूं सभी पुलिस वाले भी दौड़ते है दौड़ते समय मास्क advisable भी नही है।जान जा सकती है।वाक में मास्क लगा सकते है।
अब मन को बेवकूफ बनाने की स्टोरी ।आज की रन स्लो रखना थी इसलिए टारगेट रखा कि घर से एयरपोर्ट तक 4 km तक नाक से ही सांस लेना है।फिर एयरपोर्ट जाकर टारगेट को बढ़ाया की 7 km छोटा बांगड़दा तक नाक से सांस लेते हुए दौड़ना है।डॉ मोहित भंडारी दौड़ते हुए मिल गए छोटा बांगड़दा के पहले स्माइल दी एक दूसरे को और निकल गए ।
अब मन को समझाया कि 10.5 km हाफ रास्ते तक जाएंगे अगर वहाँ थक गए तो या तो लिफ्ट ले लेंगे या वाक करके आ जाएंगे।8 km पर पहली टॉफी खाई ।फिर नवीन खंडेलवाल ,सुमित रावत और हेमंत बड़ोदिया साईकल से निकले ।फिटनेस वालो को अपना जोड़ीदार मिल जाये और हाथ उठाकर हेलो भी कर दे तो जोश बढ़ जाता है।11 km हो गया फिर रन नही कर पा रहा था।प्यास भी लग रही थी।13 km पर एक नया आईडिया किया कि जब भी कोई km होगा उस समय वाक करेंगे जिससे हार्ट रेट कंट्रोल हो 168 से 145 आ जाती 100 से 150 मीटर में फिर 850 मीटर दौड़ लेता।
मतलब मन को बेवकूफ बनाना ही हुआ कि जब भी अगला km होगा आपको वाक करने को मिलेगा ।दिल भी खुश और मन भी खुश।
ऐसे करते हुए एयरपोर्ट आ गया 18 km हो चुके थे।एक दुकान से माजा की बोतल ली और 300 से 400 ml पी ली ।रॉक साल्ट और मिल जाता तो उसमें डाल देता ।वैसे 3 km ही बचा था।फिर प्रदीप राठौर जी मिल गए उन्होंने वाक करना शुरू कर दिया है उनके साथ सेल्फी ली।मेरी वाइफ हेमा का फ़ोन आ गया कि क्या आज 42 कर रहे हो क्या मैंने कहा कि सिर्फ 700 मीटर बचा है।इस प्रकार से ये मेरी कोरोना के बाद पहली हाफ मैराथन हो गयी ।
शरीर को बेवकूफ बनाओ और वर्कआउट करते रहो और खुश रहो।
सभी को धन्यवाद ये ब्लॉग पढ़ने के लिए ।मेरे बाकी के ब्लॉग भी देख सकते है ।ब्लॉगर पर।
2014 से ब्लॉग लिख रहा हु।
dr yogendra vyas
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